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पुरानी पेंशन बहाली को लेकर 13 मार्च को होने वाले धरना प्रदर्शन की अनुमति निरस्त, यह सरकार की नहीं कर्मचारियों की जीत, विधायकों का करेंगे घेराव

Published : March 12, 2022

मध्यप्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली को लेकर भोपाल स्तर में होने वाले 13 मार्च को धरना प्रदर्शन की अनुमति को सरकार ने तत्काल निरस्त कर दिया। मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जितेंद्र सिंह द्वारा बताया गया कि सरकार कर्मचारियों के इतने बड़े आंदोलन को लेकर बोखला गई हैं एवं तत्काल प्रभाव से रात 11:00 बजे प्रदर्शनी स्थल की अनुमति निरस्त कर दी गई।

पुरानी पेंशन बहाली संगठन के प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह द्वारा बताया गया कि धरना प्रदर्शन पर 4000 से 5000 कर्मचारियों के एकत्रित होने की अनुमति दी गई थी लेकिन सरकार की गोपनीय तंत्र द्वारा लाखों की संख्या में कर्मचारियों के पहुंचने की सुगबुगाहट को देखते हुए रात को 11:00 बजे अनुमति निरस्त के आदेश जारी किए गए। ऐसे में मध्यप्रदेश के लाखों कर्मचारियों में निराशा की लहर है।

प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह द्वारा बताया गया कि सरकार द्वारा शांतिपूर्ण रूप से अपनी मांगों के लिए किए जा रहे धरना प्रदर्शन को दमनकारी नीतियों के द्वारा दबाने का प्रयास किया गया है। प्रदेश सरकार को इसका जवाब जनता को देना होगा क्या कर्मचारियों को अपनी उचित मांग के लिए आवाज उठाने का अधिकार नहीं है? आपको बता दें कि हाल ही में राजस्थान में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन बहाल की गई है तो मध्य प्रदेश सरकार कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल क्यों नहीं कर सकती?

स्थानीय विधायको एवं जनप्रतिनिधियों को दिया जाएगा ज्ञापन

यदि मध्यप्रदेश में पुरानी पेंशन बहाल नहीं की जाती है तो कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे एवं सरकार की दमनकारी नीतियों का खुलकर विरोध करेंगे। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 13 मार्च को किए जा रहे विशाल धरना प्रदर्शन की अनुमति को निरस्त करने के बाद अब संयुक्त मोर्चा पुरानी पेंशन बहाली के बैनर तले क्षेत्रीय विधायकों को ज्ञापन दिया जाएगा।

कर्मचारियों की हार नहीं जीत है

आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के लाखों कर्मचारी 13 मार्च को होने वाले इस धरना प्रदर्शन के लिए भोपाल पहुंचने वाले थे विभिन्न जिलों में कर्मचारियों द्वारा परिवहन के साधनों को भी अनुबंधित कर लिया गया था। ऐसे में 1 दिन पूर्व शासन द्वारा इतने बड़े आंदोलन की गोपनीय सूचना प्राप्त होते ही अनुमति निरस्त कर देना सरकार की बड़ी बौखलाहट के साथ ही कर्मचारियों के आंदोलन की सफलता हैं।

इतने बड़े आंदोलन के डर से ही सरकार द्वारा एक दिवस पूर्व अनुमति को निरस्त कर देना कर्मचारियों के इस आंदोलन की बड़ी जीत है। यदि सरकार ऐसा मानती है कि कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करते है, तो सरकार की छवि धूमिल होगी।

पुरानी पेंशन बहाल नहीं करने के लिए वोट की चोट से दिखाएंगे ताकत

कर्मचारी संगठन के नेतृत्वकर्ताओं द्वारा बताया गया कि यदि इस विधानसभा चुनाव से पूर्व सरकार कर्मचारियों की पुरानी पेंशन को बहाल नहीं करती है तो निश्चित ही कर्मचारी इस लोकतंत्र में वोट की चोट से अपनी ताकत दिखाएंगे।

कर्मचारियों के साथ हो रहे इस भेदभाव पूर्ण रवैया को लेकर पूरे प्रदेश के कर्मचारी जगत में आक्रोश का माहौल है।

लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार होता है और कर्मचारियों को बात रखने के लिए आंदोलन प्रदर्शन के माध्यम से बात रखने का अवसर मिलता है,

कर्मचारियों को आंदोलन धरना प्रदर्शन पर एक बार सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी उसके पश्चात कर्मचारी संगठनों के दबाव पर सरकारों ने प्रस्ताव पारित किया था कि कर्मचारी आंदोलनों के माध्यम से अपनी बात रख सकते हैं।

मध्य प्रदेश की सरकार आप को आंदोलित नहीं होने देना चाहती है बहुत बड़ी संख्या भोपाल जा रही थी इसकी डर की वजह से अनुमति कैंसिल की गई है।

बाकी अनुमति निरस्त करने का अन्य तर्क बेकार हैं ऐसा आज तक किसी आंदोलन में नहीं हुआ की कर्मचारी अपने आंदोलन में अग्निशमन यंत्र साथ लेकर चल रहा हो स्थानीय निकाय नगर निगम भोपाल के अधिकारी तो इस आंदोलन में 4 टैंकर पीने के पानी की व्यवस्था करने वाले थे कई प्रशासनिक अधिकारी हमारे इस आंदोलन को समर्थन दे रहे थे।

केवल और केवल हमारी एक बहुत बड़ी संख्या लगभग 100000 कर्मचारी भोपाल पहुंच रहे थे इसी बात को लेकर हमारी अनुमति निरस्त की गई है।

सम्माननीय साथियों
लगभग 1 लाख पेंशन विहीन कर्मचारियों के पहुंचने की संभावनाओं के कारण सरकार की …..
टेंशन बढ़ गई। और प्रशासनिक अधिकारियों ने हमारे वरिष्ठ पदाधिकारियों को बुलाकर अनुमति निरस्त का आदेश पकड़ा दिया। लगातार 2 घंटे तक जद्दोजहद करने के बावजूद भी ऊपरी दबाव होने के कारण प्रशासन नहीं माना।
एकदम से उत्पन्न इस विषम परिस्थिति के कारण संयुक्त मोर्चा में सम्मिलित अधिकतर प्रांत अध्यक्षों से चर्चा हुई। चर्चा के अनुसार इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि शासन की ओर से 13 मार्च के लिए भोपाल की अनुमति निरस्त कर दी गई है तथा पुलिस प्रशासन द्वारा किसी कर्मचारी साथी को भोपाल में घुसने नहीं दिया जाएगा।
अतः हम सब ने सामूहिक कॉन्फ्रेंस काल कर इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि यह समय चुप बैठने का नहीं है यदि हम इस समय चुप बैठ गए तो हमें कभी पेंशन प्राप्त नहीं हो सकती।
क्या हुआ यदि शासन हमें भोपाल नहीं आने देती हम उसी तारीख को उसी सरकार के नुमाइंदों अर्थात विधायकों का घेराव कर पेंशन आक्रोश रैली निकालेंगे और पुरानी पेंशन बहाली की मांग करेंगे। तथा विधायक जी से मांग करेंगे कि 14 मार्च सोमवार को जब आप विधानसभा में जाएं तो कर्मचारियों की इस मांग को लेकर जाए कि कर्मचारी शांति पूर्वक अपना प्रदर्शन कर अपनी बात को रखने के लिए आ रहे थे किंतु प्रशासन ने उनको क्यों नहीं आने दिया क्यों अनुमति निरस्त कर दी गई।
और उसके अगले दिन 14 मार्च को प्रत्येक ब्लॉक में धरना प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेंगे। इसी बीच संयुक्त मोर्चा में सम्मिलित सभी संगठनों के अध्यक्षों की बैठक कर आगामी रूपरेखा तैयार की जाएगी।
हम जानते हैं कि हमारे साथियों ने भोपाल आने के लिए रिजर्वेशन करवा लिए हैं अथवा गाड़ी बुक की है जिसमें काफी पैसा लग गया है किंतु एकदम से उत्पन्न हुई इस विपरीत परिस्थिति के कारण यह कदम उठाना पड़ रहा है।
में इसे हमारी हार नहीं मानता बल्कि यह हमारी जीत है कि हमारी तैयारी देख कर ही सरकार घबरा गई,
अर्थात हम जो बात पहुंचाना चाहते थे वह मुख्यमंत्री जी के कानों तक पहुंच गई
हम हार नहीं मानेंगे चाहे कोई बहाना कर ले सरकार …. पुरानी पेंशन देना ही होगी।

आपका साथी
दिग्विजय सिंह चौहान
प्रदेश अध्यक्ष
पुरानी पेंशन बहाली संघ
9893648665

सरकार इस बड़ी संख्या से डर गई

यह सरकार की हार है हम अपनी बात सरकार तक पहुंचाने में कामयाब रहे किंतु हम स्वयं भोपाल नहीं पहुंच पाए इस बात का सदैव दुख रहेगा

लेकिन हमने हार नहीं मानी

अधिकतर सभी संगठनों के मुखिया से बात हुई है जिसके तहत 13 तारीख को रविवार होने से विधायक अपने क्षेत्रों में रहेंगे अतः 13 तारीख को हम अपने अपने क्षेत्रीय विधायक को पेंशन आक्रोश रैली निकालकर घेराव करेंगे और विधायक जी से मांग करेंगे की विधानसभा में हमारी मांग को रखें और सरकार से इस बाबत प्रश्न करें कि शांतिपूर्ण आंदोलन को दमनकारी नीति से क्यों रोका गया ?

दिग्विजय सिंह चौहान

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